सिटी पेलेस के वार्षिक कैलेंडर ‘वैष्णव सम्प्रदाय के धर्मध्वजी : मेवाड़ के 58वें श्रीएकलिंग दीवान महाराणा राजसिंह’ का विमोचन
महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशन्स ट्रस्ट, उदयपुर द्वारा प्रकाशित वार्षिक कैलेंडर ‘वैष्णव सम्प्रदाय के धर्मध्वजी : मेवाड़ के 58वें श्रीएकलिंग दीवान महाराणा राजसिंह (प्र.) का विमोचन महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड़ ने किया।
कैलेंडर विमोचन के अवसर पर पब्लिकेशन्स ट्रस्ट के प्रबंधक गिरिराज सिंह ने बताया कि इस वर्ष 2019 के वार्षिक कैलेंडर में महाराणा राजसिंह (प्र.) के शासनाकाल (ई.स. 1652-1680) में मेवाड़ राज्य में हुए प्रगतिप्रद एवं ऐतिहासिक घटनाओं से सम्बन्धित चित्रों को दर्शाया गया है। कैलेंडर में सर्वप्रथम मेवाड़नाथ परमेश्वरांजी महाराज श्रीएकलिंगनाथजी का चित्र दिया गया है तथा राजसिंहजी के शासनकाल में पधारे श्रीद्वारकाधीशजी, श्रीनाथजी, श् रीनवनीतप्रियाजी तथा श्री विट्ठलनाथजी की छवियों व हवेलियों के चित्रों को दर्शाये गये हैं। उनसे नीचे ही विश्वप्रसिद्ध राजसमंद झील पर महाराणा राजसिंह का चित्र दर्शाया है तथा उनके एक ओर मेवाड़ में श्रीनाथजी की अगुवाई करते हुए का चित्र है तो दूसरी ओर महाराणा का स्वर्ण तुलादान के चित्रादि दर्शाये गये हैं।
श्री सिंह ने बताया कि महाराणा राजसिंह के शासन के समय सम्पूर्ण भारत में सभी ओर कई असहिष्णु गतिविधियां तात्कालीन मुगल शासक द्वारा चलाई गई थी। ऐसे समय में मेवाड़ के महाराणा ही एकमात्र ऐसे शासक थे जिन्होंने सीधे तौर पर मुगल फरमानों का प्रचण्ड विरोध किया। महाराणा राजसिंहजी यहीं नहीं रूके उन्होंने औरंगजेब के फरमानों के विरुद्ध जाकर मेवाड़ में वैष्णव सम्प्रदाय श्री द्वारिकाधीशजी, श्रीनाथजी तथा श्री विट्ठलनाथजी की भव्य हवेलियाँ बनवा ठाकुरजी, गुसांईजी तथा उनके साथ आए वैष्णवियों आदि के लिए भी कई ऐतिहासिक कार्य करवाये। राज्य की समृद्धि के लिए महाराणा राजसिंह ने कई ऐतिहासिक जलाशय, कुण्ड एवं बावड़ियां का भी निर्माण करवाया। यहीं नहीं औरंगजेब की इच्छा के विरुद्ध चारुमती से विवाह कर चारूमती की इच्छाओं का मान रखा। महाराणा ने मुगल इच्छा के ही विरुद्ध शरणागत आये महाराजा अजीतसिंह को बाल्यावस्था में अपने यहां शरण व सुरक्षा दे औरंगजेब की असहिष्णु गतिविधियों का मुँह तोड़ जवाब दिया।
वर्ष 2019 के वार्षिक कैलेंडर में जनवरी से दिसम्बर तक के पृष्ठों के साथ ही पीछे तीन पृष्ठों में वैष्णव सम्प्रदाय के मंदिरों की ऐतिहासिक घटनाओं के वर्णन के साथ गुसांईजी श्री दाऊलालजी के समय नाथद्वारा पधारे पुष्टिमार्ग की प्रमुख पीठों के सात स्वरुपों का मेवाड़ में आगमन जैसे ऐतिहासिक व पावन चित्रों को भी दर्शाये गये है। महाराणा राजसिंह जी के ऐतिहासिक वृत्तांत के साथ उनके समय के निर्माण कार्यों को भी दर्शाया गया है।
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