महाराणा कुम्भा जयंती पर कुम्भलगढ़, चित्तौड़गढ़, रणकपुर तथा उदयपुर के सिटी पेलेस व मोती मगरी में लगी ऐतिहासिक प्रदर्शनियां
सर्वांगीय मेवाड़ के निर्माता महाराणा कुम्भा महाराणा कुम्भा की 602वीं जयंती के अवसर पर महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से कुम्भलगढ़ के ऐतिहासिक दूर्ग, चित्तौड़गढ़ के कुम्भा महल, रणकपुर के सूर्यनारायण मंदिर तथा उदयपुर के सिटी पेलेस व मोती मगरी में महाराणा कुम्भा के जीवनकाल से जुड़े ऐतिहासिक चित्रों व जानकारियों की प्रदर्शनियां लगाई गई हैं। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि फाउण्डेशन की आउटरिच गतिविधियों का उद्देश्य वर्ष में मेवाड़ के महाराणाओं और उनके द्वारा जन एवं राज्यहितार्थ में किये गये कार्यों तथा उनके काल की ऐतिहासिक घटनाओं से मेवाड़ में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों एवं विद्यार्थियों को भी रू-ब-रू करवाना है। महाराणा कुम्भा शिल्पशास्त्र के ज्ञाता एवं अपने युग के प्रसिद्ध स्थापत्य निर्माता होने के साथ ही कला एवं कलाकारों के संरक्षक भी थे। मेवाड़ में लगभग 84 किलों मे से 32 किलों के निर्माण का श्रेय महाराणा कुम्भा को दिया जाता है। मेवाड़ राज्य की सीमाओं को स...